इस दिन: पार्थिव पटेल ने रिकॉर्ड तोड़ लक्ष्य हासिल कर गुजरात को पहली बार रणजी ट्रॉफी खिताब दिलाया

इस दिन 2017 में, गुजरात ने इंदौर के होल्कर क्रिकेट स्टेडियम में एक रोमांचक फाइनल में मुंबई को हराकर अपना पहला रणजी ट्रॉफी खिताब जीता था। गुजरात ने रणजी ट्रॉफी फाइनल में सबसे सफल रन चेज़ करते हुए 312 रन के लक्ष्य को पार कर पांच विकेट से जीत हासिल कर खिताब जीता।

फाइनल में रिकॉर्ड 41 रणजी खिताब जीतने वाली मुंबई के साथ कड़ी टक्कर हुई, वह प्रबल दावेदार थी, लेकिन गुजरात के दृढ़ संकल्प और रणनीतिक खेल ने उन्हें ऐतिहासिक जीत दिलाई।
बल्लेबाजी करने उतरी मुंबई को गुजरात के अनुशासित गेंदबाजी आक्रमण के सामने संघर्ष करना पड़ा और टीम 228 रन पर आउट हो गई। पृथ्वी शॉ (71) और सूर्यकुमार यादव मुंबई के लिए पहले (57) ने अर्धशतक लगाया, जबकि गुजरात के लिए आरपी सिंह, चिंतन गाजा और रुजुल भट्ट ने दो-दो विकेट लिए।
गुजरात की प्रतिक्रिया
जवाब में गुजरात ने 328 रन बनाकर 100 रन की अहम बढ़त हासिल कर ली। कप्तान पार्थिव पटेल सामने से नेतृत्व करते हुए महत्वपूर्ण 90 रन बनाए और मनप्रीत जुनेजा (77) ने उनका भरपूर समर्थन किया। उनकी साझेदारी ने एक ठोस नींव रखी और गुजरात को महत्वपूर्ण बढ़त दिलाई।
घाटे से जूझ रही मुंबई को दूसरी पारी में दमदार प्रदर्शन की जरूरत थी। वे 411 रन बनाने में सफल रहे, जिससे गुजरात को जीत के लिए 312 रनों का चुनौतीपूर्ण लक्ष्य मिला। श्रेयस अय्यर और अभिषेक नायर इस अवसर पर आगे बढ़े, अय्यर और नायर ने क्रमशः 82 और 91 रन बनाए।
अपना तीसरा प्रथम श्रेणी मैच खेल रहे 22 वर्षीय मध्यम गति के गेंदबाज चिंतन गाजा ने 121 रन देकर अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ 6 विकेट लेकर मुंबई को रोकने में अहम भूमिका निभाई।
रणजी ट्रॉफी फाइनल में 312 रनों का पीछा करना अभूतपूर्व था, लेकिन गुजरात ने सटीकता के साथ लक्ष्य हासिल किया। पार्थिव पटेल ने एक बार फिर अपने नेतृत्व और बल्लेबाजी कौशल का प्रदर्शन करते हुए शानदार 143 रन बनाए। उन्होंने मनप्रीत जुनेजा के साथ महत्वपूर्ण शतकीय साझेदारी की, जिन्होंने दूसरे छोर पर स्थिरता प्रदान की। उनके संयुक्त प्रयासों ने गुजरात को लक्ष्य की ओर अग्रसर किया।
प्रमुख प्रदर्शन
पार्थिव पटेल: दोनों पारियों (90 और 143) में कप्तान का योगदान वास्तव में गुजरात के लिए महत्वपूर्ण था। दूसरी पारी में उनकी आक्रामक लेकिन संयमित बल्लेबाजी ने रिकॉर्ड का पीछा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मनप्रीत जुनेजा: दोनों पारियों में पार्थिव पटेल के साथ जुनेजा की साझेदारियों ने गुजरात की बल्लेबाजी को रीढ़ प्रदान की, स्थिरता और गति सुनिश्चित की।
चिंतन गाजा: दूसरी पारी में उनकी असाधारण गेंदबाजी (121 रन पर 6 विकेट) ने मुंबई को एक प्रबंधनीय स्कोर तक सीमित रखने में बड़ी भूमिका निभाई।
इस ऐतिहासिक जीत ने गुजरात को पहला रणजी ट्रॉफी खिताब दिलाया, जिससे टूर्नामेंट में मुंबई का दबदबा खत्म हो गया। विशेष रूप से, मुंबई 1990-91 सीज़न के बाद से रणजी फाइनल नहीं हारी थी।
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