भारत और ब्रिटेन ने अंतरिक्ष में महिलाओं के नेतृत्व के लिए कार्यक्रम शुरू किया | शिक्षा
भारत और ब्रिटेन ने बुधवार को अंतरिक्ष विज्ञान में लैंगिक समावेशी माहौल बनाने के लिए महिला अंतरिक्ष नेतृत्व कार्यक्रम (डब्ल्यूआईएसएलपी) का शुभारंभ किया।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की पहल, यूके-भारत शिक्षा एवं अनुसंधान पहल (यूकेआईईआरआई) के एक भाग के रूप में ब्रिटिश काउंसिल के सहयोग से, एक रणनीतिक नेतृत्व ढांचा विकसित करके अंतरिक्ष विज्ञान में लैंगिक समावेशी प्रथाओं को मजबूत करने में संस्थानों को समर्थन देने पर केंद्रित है।
डीएसटी में विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में महिलाएं (डब्ल्यूआईएसई)-किरण प्रभाग की प्रमुख डॉ. वंदना सिंह ने कहा, “एक मजबूत नेतृत्व ढांचा तैयार करके हम महिलाओं को वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार में सार्थक योगदान देने के लिए सशक्त बना सकते हैं।”
इस कार्यक्रम में स्थायी मार्गदर्शन नेटवर्क का निर्माण करना तथा खगोल भौतिकी और दूरसंचार जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में लैंगिक परिप्रेक्ष्य को एकीकृत करके वैज्ञानिक नवाचार को बढ़ावा देना शामिल होगा।
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यह कार्यक्रम 250 प्रारंभिक कैरियर शोधकर्ताओं (ईसीआर) को नेतृत्वकारी भूमिकाएं निभाने तथा लैंगिक पूर्वाग्रहों और संबंधित बाधाओं से निपटने के लिए बेहतर ढंग से तैयार होने में सहायता करेगा।
कार्यक्रम में नेटवर्किंग, जागरूकता निर्माण और सहकर्मी-से-सहकर्मी परामर्श के लिए तंत्र शामिल किए जाएंगे।
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) की निदेशक अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम ने महिलाओं को अंतरिक्ष विज्ञान के बढ़ते क्षेत्र में शीघ्र शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया, जो इंजीनियरिंग और सामाजिक विज्ञान जैसे विविध क्षेत्रों में फैल रहा है।
ब्रिटिश काउंसिल इंडिया के उप निदेशक माइकल हॉलगेट ने वैश्विक चुनौतियों के समाधान में सहयोग के महत्व पर बल दिया तथा STEM क्षेत्रों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने का आह्वान किया।
पिछले कुछ वर्षों में यूकेआईईआरआई ने 4,500 शैक्षणिक संस्थानों में 25,000 से अधिक शैक्षणिक आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान की है, जिससे भारत और ब्रिटेन के बीच अनुसंधान और उद्योग क्षेत्रों में सहयोग मजबूत हुआ है।
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