कैमूर में महुआ लदे ट्रक को रोकने पर बिहार के वन अधिकारी और ड्राइवर की पिटाई

भभुआ: मामले से परिचित लोगों ने बताया कि सोमवार शाम को कुछ लोगों के समूह ने एक वन अधिकारी और उसके ड्राइवर पर उस समय हमला कर दिया, जब उन्होंने कैमूर वन्यजीव अभयारण्य में एक वाहन को रोका, जिसमें अवैध शराब बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले महुआ के फूल ले जाए जा रहे थे।

कैमूर के प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) चंचल प्रकाशम ने बताया कि हमले में वनपाल कुणाल कुमार और उनके चालक राज कुमार के सिर में कई चोटें आईं हैं और उनका इलाज भभुआ से 100 किलोमीटर दूर वाराणसी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ट्रॉमा सेंटर में चल रहा है।
कुणाल कुमार द्वारा पुलिस को दिए गए बयान का हवाला देते हुए प्रकाशम ने बताया कि सोमवार की शाम को दोनों भभुआ प्रखंड कार्यालय से लौट रहे थे, तभी उन्हें भभुआ-अधौरा मार्ग पर गढ़के गांव के पास महुआ लदा एक पिकअप ट्रक दिखा। वन विभाग की टीम ने ट्रक का पीछा किया और शाम 7.15 बजे अधौरा बस स्टैंड के पास उसे रुकवाया।
वन अधिकारी ने बताया कि वाहन खान बंधुओं नामक स्थानीय गिरोह से जुड़ा हुआ था। सगीर खान, उसके तीन बेटे अयूब, महमूद, मकसूद, उसका भतीजा नागा खान और उसका साथी सुहैल आलम ने वन अधिकारी और उसके ड्राइवर की बेरहमी से पिटाई की।
मामले से परिचित एक व्यक्ति ने बताया कि आपराधिक गिरोह अवैध रूप से अभयारण्य क्षेत्र से आदिवासियों से सस्ते दामों पर महुआ खरीदते हैं और पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में अवैध शराब बनाने वाली कंपनियों को बेचकर मुनाफा कमाते हैं। वे यूपी से बिहार में देशी शराब की तस्करी भी करते हैं, जहां इसे महंगे दामों पर बेचा जाता है।
बिहार में 2016 से शराब का निर्माण, सेवन और उसे रखना अपराध है।
वन्यजीव कार्यकर्ता ओम प्रकाश पांडे ने कहा कि वन माफिया को राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन के एक नेता का समर्थन प्राप्त है और वह वन और पुलिस विभाग के जमीनी स्तर के अधिकारियों को धमकाने और उन पर हमला करने के लिए जाना जाता है।
अधौरा थाना प्रमुख निर्मल कुमार ने बताया कि आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या का प्रयास), 323 (चोट पहुंचाना) और 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए आपराधिक बल का प्रयोग करना) सहित कई धाराओं के तहत हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है।
कुमार ने बताया कि आरोपियों की तलाश के लिए छापेमारी की जा रही है।
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